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Kavivar Pandit Bhagchandji

कविवर पंडित भागचंद जी

कविवर पंडित भागचंद जी 19वीं शताब्दी के अंतिम और बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध के प्रमुख विद्वानों में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये संस्कृत और प्राकृत भाषा के साथ-साथ हिंदी भाषा के भी मर्मज्ञ विद्वान थे। इनका जन्म ग्वालियर मध्य प्रदेश जिले में ईसागढ़ नाम के ग्राम में हुआ था। इनकी जाति ओसवाल और धर्म दिगंबर जैन था। पंडित भागचंद जी दर्शनशास्त्र के भी गहन अभ्यासी थे और इनमें संस्कृत और हिंदी दोनों ही भाषाओं में कविता लिखने की अद्भुत क्षमता थी। शास्त्र प्रवचन और तत्व चर्चा में इन्हें विशेष आनंद आता था। समीपवर्ती सिद्धक्षेत्र सोनागिर में होने वाले वार्षिक मेले में वे प्रतिवर्ष शामिल होते थे और स्वाध्याय के द्वारा जनता को लाभान्वित करते थे। कवि का समय अनेक विषमताओं में बीता, इसके बावजूद भी इन्होंने जिन धर्म के प्रति अपना श्रद्धान नहीं छोड़ा और न ही कभी अनीति आदि का सेवन किया।


इनकी निम्नलिखित रचनाएं प्राप्त होती हैं-
1. महावीराष्टक (संस्कृत)
2. अमितगति श्रावकाचार वचनिका 3. उपदेश सिद्धांत रत्नमाला वचनिका
4. प्रमाण परीक्षा वचनिका
5. नेमिनाथ पुराण
6. ज्ञान सूर्योदय नाटक वचनिका
7. पद संग्रह

पंडित भागचंदजी के द्वारा रचित महावीराष्टक संपूर्ण दिगंबर जैन समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कृति है। साथ ही पंडित भागचंद जी द्वारा रचित अनेकों भजन आज भी शास्त्र स्वाध्याय सभाओं में गाए जाते हैं। इस तरह पंडित भागचंद जी का जैन साहित्य के उत्थान में विशिष्ट स्थान है।

Shastra by Kavivar Pandit Bhagchandji

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Shastra Name Rachayita Tikakar/Translator PDF Details