Parampara

प्रत्येक अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी काल के दुषमा-सुषमा नामक चौथे काल में चौबीस तीर्थंकरों का जन्म होता है, जो पूर्ण वीतराग और सर्वज्ञदशा को प्राप्त करके जैनधर्म का उपदेश देते हैं। आज तक अनन्त चौबीसीयााँ हो चुकी हैं और भविष्य में भी चौबीसी होती ही रहेंगी। आगम-अनुसार वर्तमान चौबीस तीर्थंकरों के नाम इस प्रकार हैं-

क्रम वर्तमान के चौबीस तीर्थंकर
1 भगवान ऋषभदेव
2 भगवान अजितनाथ
3 भगवान संभवनाथ
4 भगवान अभिनंदन
5 भगवान सुमतिनाथ
6 भगवान पद्मप्रभ
7 भगवान सुपार्श्वनाथ
8 भगवान चंद्रप्रभ
9 भगवान सुविधिनाथ
10 भगवान शीतलनाथ
11 भगवान श्रेयांसनाथ
12 भगवान वासुपूज्य
क्रम वर्तमान के चौबीस तीर्थंकर
13 भगवान विमलनाथ
14 भगवान अनंतनाथ
15 भगवान धर्मनाथ
16 भगवान शांतीनाथ
17 भगवान कुंथुनाथ
18 भगवान अरनाथ
19 भगवान मल्लिनाथ
20 भगवान मुनिसुव्रत
21 भगवान नमिनाथ
22 भगवान नेमिनाथ
23 भगवान पारसनाथ
24 भगवान महावीर

वर्तमान के युगमें जैनधर्म के आदि प्रवर्तक भगवान ऋषभदेव थे और अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीर थे। भगवान महावीर के चतुर्विध संघ में पााँच लाख नर-नारी थे। मुनीसंघ 11 गणधरों की अध्यक्षता में नव विभागों में बटा हुआ था। श्रावक-श्राविका संघ में प्रत्येक वर्ग और जाति के जीव थे। भारत के कोने-कोने में उनके अनुयायी थे ही, तदुपरान्त भारत के बाहर गान्धार, कपिशा और पारसिक आदि देशो में भी उनके भक्त थे।