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श्री महावीर शासन को जीवंत रखने वाले विशिष्टताधारी आचार्य / मुनिवरों की सूचि

श्री महावीर के शासन को जीवित रखने वाले प्रतिष्ठित आचार्य/मुनिवर

क्रमांक प्राचार्य का नाम समय ग्रंथ रचना विशिष्टता
इ.स. वि.सं.
01. श्री शिवार्य इ.स.पूर्ववर्ती वि.सं. पूर्ववर्ती भगवती आराधना  
02. श्री गुणधराचार्य इ.स.की पूर्व प्रथम शताब्दि वि.सं. की पूर्व प्रथम शताब्दि कषायपाहुड
  • सभी अंग-पूर्व के एक देश ज्ञाता ।
  • ज्ञानप्रवाद के ठीक पहले दसवीं बात के "पज्जदोस पाहुड" का ज्ञान ।
03. श्री धरसेनाचार्य इ.स.की पूर्व प्रथम शताब्दि वि.सं. की पूर्व प्रथम शताब्दि षटखंडागम या सत्कर्म प्राभृत के अग्रदूत/उपदेशक
  • सभी अंग-पूर्व के एक देश ज्ञाता ।
  • पूर्व दिशा का चयन लाभ कहलाने वाली वस्तुका अधिकार "महाकर्मप्रकृति पाहुड" का ज्ञान ।
04. श्री पुष्पदंताचार्य इ.स.की पूर्व प्रथम शताब्दि वि.सं. की पूर्व प्रथम शताब्दि षटखंडागम / जीवस्थान के "सत्प्ररूपणा अधिकार" के रचयिता ।  
05. श्री भूतबलि आचार्य इ.स.की पूर्व प्रथम शताब्दि वि.सं. की पूर्व प्रथम शताब्दि षटखंडागम ग्रंथ के शेष अन्य समस्त अधिकारों के रचयिता । षट्-खंड:
  • 1. जीवस्थान
  • 2. क्षुल्लकबंध
  • 3. बंधस्वामीत्व-विचय
  • 4. वेदनाखंड
  • 5. वर्गणाखंड
  • 6. महाबंध
 
06. श्री कुंदकुंदाचार्य इ.स.की पूर्व प्रथम शताब्दि वि.सं. की पूर्व प्रथम शताब्दि षटखंडागम ग्रंथ के शेष अन्य समस्त अधिकारों के रचयिता ।
  • श्री सीमंधरप्रभु के प्रत्यक्ष दर्शन और दिव्यध्वनि श्रवण ।
  • जमीन से चार उंगल उपर चलने की चारणऋद्धि
  • पांच नाम :
    • 1) आचार्य पद्मनंदि
    • 2) कुंदकुंदाचार्य
    • 3) ऐलाचार्य
    • 4) वक्रग्रीवाचार्य
    • 5) गृद्धपिच्छाचार्य
07. श्री अर्हदबली (गुप्तिगुप्त) इ.स. 38-66 वि.सं. 95-123
  • विशिष्ट मुनि संघनायक
  • एक अंग के धारण करने वाले ।
08. श्री उमास्वामी आचार्य इ.स. 44-85 वि.सं. 101-142 ‘‘तत्त्वार्थसूत्र’’ (मोक्षशास्त्र) (संस्कृत भाषा में लिखा गया जिनागम का पहला ग्रंथ है)
  • श्री कुंदकुंदाचार्य देव के शिष्य ।
09. श्री बप्पदेव आचार्य इ.स. की प्रथम शताब्दि का मध्यभाग वि.सं. की प्रथम शताब्दि
  • व्याख्या प्रज्ञप्ति (षट्-खंडागम के प्रथम पांच खंड पर टीका और छठवें खंड पर 5008 श्लोक प्रमाण टीका)
  • कषाय पाहुड पर टीका । (60000 श्लोक प्रमाण) वर्तमान में अनुपलब्ध ।
 
10. श्री आर्यमंक्षु आचार्य इ.स. 73-123 वि.स. 130-180
  • कषायपाहुड-ज्ञाता
11. श्री नागहस्ति आचार्य इ.स. 93-162 वि.स. 150-219  
  • कषायपाहुड-ज्ञाता
12. श्री जयसेनाचार्य (वसुबिंदु) इ.स. दूसरी शताब्दि वि.स. दूसरी शताब्दि
  • प्रतिष्ठा पाठ
  • कषायपाहुड-ज्ञाता
  • श्री कुंदकुंदाचार्यदेव के शिष्य ।
13. श्री समन्तभद्र इ.स. की दूसरी शताब्दि वि.सं. 117-242
  • रत्नकरंड श्रावकाचार
  • देवागमस्तोत्र (आप्तमीमांसा)
  • स्वयंभू-स्तोत्र
  • युकत्यनुशासन
  • स्तुतिविद्या (जिन शतक)
  • प्राकृत व्याकरण
  • तत्त्वानुशासन
  • प्रमाण पदार्थ
  • कर्मप्राभृत टीका
  • गंधहस्ति महाभाष्य (अनुपलब्ध) - (षट्-खंडागम पर टीका)
14. श्री कुमारस्वामी (स्वामी कार्तिकेय) इ.स. की दूसरी शताब्दी मध्य वि.सं. की दूसरी शताब्दी के अंतसे तीसरी शताब्दि का पूर्वार्ध  
15. श्री शामकुंडाचार्य इ.स. की तीसरी शताब्दि का पूर्वार्ध
  • पद्धति टीका (1200 श्लोक प्रमाण)
  • षट्-खंडागम के 1 से 5 खंड पर और कषायपाहुड की टीका
  • षट् खंडागम और कषायपाहुड के ज्ञाता
16. श्री विमलसूरि इ.स. की चौथी शताब्दि पूर्वार्ध वि.सं. की चौथी शताब्दि
  • पउमचरिय (प्राकृत में प्रथमानुयोग का शास्त्र)
 
17. श्री दत्ताचार्य इ.स. की चौथी शताब्दि का मध्य भाग
  • जल्पनिर्णय (अनुपलब्ध)
 
18. श्री देवनंदि आचार्य (पूज्यपाद) इ.स. पांचवीं शताब्दि का मध्य भाग  
  • सर्वार्थसिद्धि : तत्त्वार्थसूत्र की टीका
  • - समाधितंत्र (समाधि शतक)
  • इष्टोपदेश
  • जैनेन्द्र व्याकरण
  • वैद्यसार संग्रह (वैदिक विषय का ग्रंथ)
  • सिद्धिप्रिय स्तोत्र (चतुर्विंशति स्तव)
  • जन्माभिषेक (शिलालेख (नं. 40, श्रवणबेलगोला)
  • अर्हद प्रतिष्ठा लक्षण
  • दसभक्ति
  • सारसंग्रह (धवल में उल्लेख)
  • पाणिनी का अधूरा व्याकरण ग्रंथ पूरा किया ।
  • शब्दावतार (पाणीनी के व्याकरण पर भरोसा)
  • शांति अष्टक स्तोत्र
  • विदेहगमन
19. श्री सर्वनंदि आचार्य इ.स. की पांचवीं शताब्दि मध्य में वि.सं. छठवीं शताब्दि के पूर्व में
  • लोकविभाग (करुणानुयोग का शास्त्र जिसका भाषा परिवर्तन श्री सिंहसूरि ऋषि ने किया है)
 
20. श्री पात्रकेसरी इ.स. 494-543 वि.सं. 501-600
  • पात्रकेसरी स्तोत्र (जिनेन्द्र गुण संस्तुति)
  • त्रिलक्षणकदर्शन-इस ग्रंथ का आधार आचार्य अकलंकदेव, विद्यानंद और अन्य उत्तरवर्ती आचार्यों के ग्रंथ में दिखने में आया है ।
 
21. श्री यतिवृषभ आचार्य इ.स. की छठवीं सदी वि.सं. की छठवीं सदी - सातवीं सदी का पूर्वार्ध
  • चूर्णिसूत्र (कषायपाहुड के आधार पर रचित)
  • तिलोयपण्णति (करणानुयोग)
  • कर्मप्रवाद पूर्व (आठवें पूर्व के ज्ञाता ।)
22. श्री योगीन्दुदेव आचार्य इ.स. 551-600 (लगभग) वि.सं. 608-658 (लगभग)  
23. श्री सिद्धसेन दिवाकर (दीक्षा नाम : कुमुदचंद्र) इ.स. छठवीं शताब्दि वि.सं. सातवीं शताब्दि
24. श्री उच्चारणाचार्य इ.स. की सातवीं शताब्दि वि.सं. की सातवीं शताब्दि
  • उच्चारणावृत्ति (कषायपाहुड का आधार लेकर रचना की गई है)
 
25. श्री मानतुंगाचार्य इ.स. की सातवीं शताब्दि वि.सं. की सातवीं शताब्दि  
26. श्री अकलंक देव इ.स. 620-680 वि.सं. 677-737
  • तत्त्वार्थवार्तिक वृत्ति अथवा राजवार्तिक (तत्त्वार्थसूत्र की टीका)
  • अष्टशती (आप्तमीमांसा की टीका)
  • लघीयस्त्रय
  • न्याय विनिश्चय-सिद्धि विनिश्चय
  • प्रमाण संग्रह
 
27. श्री रविषेणाचार्य इ.स. 643-383 वि.सं. 700-740  
28. श्री जयसिंहनंदि इ.स. की सातवीं शताब्दि का उत्तरार्ध / आठवीं शताब्दि का पूर्वार्ध वि.सं. की आठवीं शताब्दि
  • वरांग चरित
 
29. श्री जयसेनाचार्य(2) इ.स. 723-773 वि.सं. 780-830
  • षट्-खंडागम के ज्ञाता जिनसेन स्वामी के दादा गुरु
30. श्री अपराजित (विजय) इ.स. की आठवीं शताब्दि वि.सं. की आठवीं शताब्दि के अंतमें
  • विजयोदया (भगवती आराधना की टीका)
 
31. श्री जिनसेन स्वामी (1) इ.स. 748-818 वि.सं. 805-870
  • हरिवंश पुराण (जैन महाभारत नेमिनाथ चरित्र) (वर्धमानपुर-वढवाण में रचना की गई है)
  • गुरु : श्री कीर्तिषेण मुनि
32. श्री आर्यनंदी आचार्य इ.स. 767-798 वि.सं. 824-855
  • तमिल क्षेत्र में शिवभक्त आंदोलन के बाद जैन समाज के पुनर्गठन में एक प्रमुख योगदान । मदुरै में कई जगह शिलालेख में नाम लिखा है ।
33. श्री वीरसेनस्वामी इ.स. 770-827 वि.सं. 827-884
  • "धवला, (षटखंडागम टीका) (72000 श्लोक कषाय प्राभृत की टीका)
  • ज्योतिष, गणित, निमित्त आदि विषयों के ज्ञाता । शिक्षागुरु : श्री एलाचार्य । (अनुमानित) दीक्षागुरुः श्री आर्यनंदि (अनुमानित)
34. श्री जयसेनाचार्य (3) इ.स. 770-827 वि.सं. 827-884
  • दीक्षागुरु : श्री आर्यनंदि
  • धवला टीका के रचयिता – श्री वीरसेनस्वामी के
35. श्री वादिभसिंहसूरि (1) इ.स. 770-860 वि.सं. 827-917  
36. श्री विद्यानंदि आचार्य इ.स. 770-860 वि.सं. 827-917
  • आप्त परीक्षा
  • प्रमाण परीक्षा
  • पत्र परीक्षा
  • सत्यशासन परीक्षा
  • श्रीपुप-पार्श्वनाथ स्तोत्र
  • विद्यानंद महोदय (अनुपलब्ध)
  • अष्टसहस्त्री (आप्तमीमांसा टीका)
  • तत्त्वार्थ श्लोक वार्तिक (तत्त्वार्थसूत्र पर टीका)
  • युक्त्यानुशासनालंकार (युक्त्यानुशासन स्तोत्रकी टीका)
 
37. श्री उद्योतनसूरि इ.स. आठवीं शताब्दी वि.सं. आठवीं शताब्दी
  • कुवलयमाला
 
38. श्री महावीराचार्य इ.स. 800-830 वि.सं. 857-887
  • गणितसार संग्रह
39. श्री जिनसेनाचार्य (2) इ.स. 818-878 वि.सं. 875-935
  • जयधवला (कषायपाहुड-टीका) (गुरु श्री वीरसेनस्वामी का अधूरा ग्रंथ-40000 श्लोक लिख के पूरा किया : कुल श्लोक 60000
  • आदिपुराण (महापुराण का प्रारंभिक भाग)
  • पार्श्वाभ्युदय
 
40. श्री उग्रादित्य आचार्य इ.स. नववीं शताब्दी का पूर्व वि.सं. नववीं शताब्दी का उत्तरार्ध
  • कल्याणकारक (वैदिक ग्रंथ 2500 श्लोक)
  • गुरु : श्री नंदि ।
41. श्री रामसिंह इ.स. 843-943 वि.सं. 901-1000
  • दोहा पाहुड
 
42. श्री अनंतकीर्ति आचार्य इ.स. नववीं शताब्दि का उत्तरार्ध वि.सं. दसवीं शताब्दि का पूर्वार्ध
  • बृहद् सर्वज्ञसिद्धि
  • लघु सर्वज्ञसिद्धि
43. श्री गुणभद्राचार्य इ.स. 870-900 वि.सं. 927-957
  • आदिपुराण (83 सर्ग से अंत तक) (गुरु जिनसेनस्वामी रचित अधूरा ग्रंथ पूरा किया ।
  • उत्तर पुराण
  • आत्मानुशासन
  • जिनदत्त चरित
 
44. श्री अमृतचंद्राचार्य इ.स. 905-955 वि.सं. 962-1012
  • श्री पुरुषार्थसिद्धि उपाय
  • तत्त्वार्थसार
  • लघुतत्त्वस्फोट (शक्तिगणित कोष)
  • आत्मख्याति
  • तात्पर्यदीपिका<
  • प्रवचनसार टीका
  • समयव्याख्य
  • पंचास्तिकाय टीका
 
45. श्री तुम्बलूट इ.स. दसवी शताब्दि के पहले (उम्मीद के मुताबिक)
  • षट् खंडागम के प्रथम पांच खंड पर टीका
  • कषायप्राभृत-टीका
46. श्री अमितगति आचार्य - (1) इ.स. 923-963 वि.सं. 980-1020  
47. श्री हरिषेणाचार्य इ.स. दसवी शताब्दि वि.सं. दसवी शताब्दि के अंतमें
  • बृहद् कथाकोष
 
48. श्री देवसेन आचार्य इ.स. 933-955 वि.सं. 990-1012
  • दर्शनसार
  • तत्त्वसार
  • भावसंग्रह
  • लघु नयचक्र
  • आलाप पद्धति
  • आराधना सार
 
49. श्री इन्द्रनंदि इ.स. की दसवीं शताब्दि वि.सं. की दसवीं शताब्दि के अंत में
  • श्रुतावतार
  • ज्वालामालिनी कल्प
  • शिक्षागुरु : अभयनंदि
50. श्री अभयनंदि आचार्य इ.स. 943-993 वि.सं. 1000-1050
  • तत्त्वार्थवृत्ति (तत्त्वार्थसूत्र-टीका)
  • कर्मप्रकृति रहस्य
 
51. श्री सोमदेव आचार्य इ.स. 943-998 वि.सं. 1000-1055
  • नीति वाक्यामृत
  • यशस्तिलक चंपू (वि.सं. 1016)
  • अध्यात्म तरंगिणी
 
52. श्री वीरनंदि आचार्य इ.स. 950-999 वि.सं. 1007-1056
  • चंद्रप्रभ चरित
  • गुरु : अभयनंदि
53. श्री प्रभाचंद्र आचार्य इ.स. 950-1020 वि.सं. 1007-1077
  • दर्शनसार
  • चंद्रप्रभ चरित
  • प्रमेयकमलमार्तंड (परिक्षामुख-व्याख्या)
  • न्याय कुमुदचंद्र (लघियस्त्रय-व्याख्या)
  • रत्नकरंड श्रावकाचार-टीका
  • समाधितंत्र टीका
  • क्रियाकलाप टीका
  • आत्मानुशासन तिलक (आत्मानुशासन टीका)
  • प्रवचनसार-सरोज भास्कर (प्रवचनसार-व्याख्या)
  • तत्त्वार्थवृत्ति पद विवरण (सर्वार्थसिद्धि व्याख्या)
  • गंधकथा कोष (स्वतंत्र रचना)
  • शब्दाम्भोज भास्कर (जैनेन्द्र व्याकरण व्याख्या)
  • शाक्ययन न्यास (शाक्यन व्याकरण व्याख्या)
54. श्री महासेनाचार्य इ.स. दसवीं शताब्दि उत्तरार्ध वि.सं. ग्यारहवीं शताब्दि पूर्वार्ध
  • प्रद्युम्न चरित
55. श्री माधवचंद्र त्रैविध इ.स. 975-1000 वि.सं. 1032-1057
  • त्रिलोकसार-टीका
  • गुरु : श्री नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती
56. पद्मनंदि सैद्धांतिक (प्रथम) इ.स. 977-1043 वि.सं. 1034-1100
  • जम्बूद्वीप पण्णत्ति
  • धम्म रसायण
  • पंच संग्रह
 
57. श्री नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती इ.स. दसवीं शताब्दि अंतमें वि.सं. ग्यारहवीं शताब्दि
  • गोम्मटसार (रचनाकाल : वि.सं. (1037-1040)
  • त्रिलोकसार
  • लब्धिसार
  • क्षपणासार
  • गुरु : अभयनंदि
58. श्री अमितगति आचार्य इ.स. 983-1023 वि.सं. 1040-1080
  • सुभाषित रत्नसंदोह
  • धर्मपरीक्षा
  • भावना द्यात्रिंशतिका
  • पंचसंग्रह
  • उपासकाचार
  • सामायिक पाठ
 
59. श्री इन्द्रनंदि आचार्य इ.स. की 10 वीं शताब्दि का उत्तरार्ध / 11 वीं शताब्दि पूर्वार्ध वि.सं.की 11 वीं शताब्दि का / 12 वीं शताब्दि का पूर्वार्ध
  • छेदपिंड (प्रायश्चित्त शास्त्र)
60. श्री नयनंदि आचार्य इ.स. 993-1050 वि.सं. 1050-1107
  • सुंदसण चरिउ (वि.सं. 1100)
  • सयल विहिविहाण काव्य
61. श्री जयसेनाचार्य (4) इ.स. 998 वि.सं. 1055
  • धर्मरत्नाकर (वि.सं. 1055 में पूरा हुआ ।)
  • गुरु : भावसेन
62. श्री माणिक्यनंदि आचार्य इ.स. 1003-1028 वि.सं. 1060-1085
  • परीक्षामुख
63. श्री शुभचंद्र आचार्य (1) इ.स. 1003-1068 वि.सं. 1060-1125  
64. श्री वादिराज आचार्य इ.स. 1010-1065 वि.सं. 1067-1122
  • एकीभाव स्तोत्र
  • पार्श्वनाथ चरित्र (वि.सं. 1082 में पूरा हुआ )
  • न्यायविनिश्चय विवरण
  • प्रमाण निर्णय
  • यशोधर चरित
65. श्री ब्रह्मदेवसूरि इ.स. 1013-1053 वि.सं. 1070-1110
  • बृहद् द्रव्यसंग्रह-टीका
  • परमात्मप्रकाश-टीका
  • तत्त्वदीपिका-प्रतिष्ठा तिलक
  • कथा कोष
 
66. श्री नेमिचंद्र सिद्धांति देव (3) इ.स. 1018-1068 वि.सं. 1075-1125  
67. श्री मल्लिषेण आचार्य (1) इ.स. 1047-11वीं शताब्दि के मध्य में वि.सं. 1104-12वीं शताब्दि के पूर्वार्ध में
  • महापुराण
  • नागकुमार काव्य
68. श्री वसुनंदि आचार्य इ.स. 1068-1118 वि.सं. 1125-1175
  • प्रतिष्ठासार संग्रह
  • उपासकाचार (उपासकाध्ययन)
  • आचारवृत्ति मूलाचार की टीका
 
69. श्री पद्मनंदि आचार्य (5) इ.स. 11वीं शताब्दि का उत्तरार्ध वि.सं. 12वीं शताब्दि का पूर्वार्ध  
7૦. श्री रामसेन मुनि इ.स. 11वीं शताब्दि का उत्तरार्ध वि.सं. 12वीं शताब्दि का पूर्वार्ध
  • दीक्षागुरु : श्री नागसेन
71. श्री जयसेनाचार्य (5) इ.स. 11वीं शताब्दि का उत्तरार्ध /12 वीं शताब्दि का पूर्वार्ध वि.सं. 12वीं शताब्दि
  • गुरु : सोमसेन
72. श्री नरेन्द्रसेन आचार्य इ.स. 11वीं शताब्दि का उत्तरार्ध वि.सं. 12वीं शताब्दि का पूर्वार्ध
  • सिद्धांतसार संग्रह
 
73. श्री बालचंद्र (1) इ.स. 12वीं शताब्दि की शुरूआत वि.सं. 12वीं शताब्दि का उत्तरार्ध
  • समयसार टीका
  • प्रवचनसार टीका
  • पंचास्तिकाय टीका
74. पंचास्तिकाय टीका सिद्धांत चक्रवर्ती इ.स. 1130-1190 (अंदाजित) वि.सं. 1187-1287
  • आचारसार
  • गुरु : मेघचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती
75. श्री अनंतवीर्य (लघु) इ.स. 11वीं शताब्दि के मध्य में वि.सं. 12वीं शताब्दि के उत्तरार्ध में
  • प्रमेय रत्नमाला
 
76. श्री पद्मप्रभमलधारिदेव इ.स. 12वीं शताब्दि का मध्य भाग वि.सं. 13वीं शताब्दि के पूर्वार्ध में
  • तात्पर्यवृत्ति (नियमसार टीका)
  • पार्श्वनाथ स्तोत्र (लक्ष्मी स्तोत्र)
  • गुरु : वीरनंदि सिद्धांत चक्रवर्ती
77. श्री भावसेन आचार्य इ.स. 13वीं शताब्दि वि.सं. 13वीं शताब्दि के मध्य में
  • प्रमाप्रमेय
  • कातंत्ररूपमाला
  • भुक्ति-मुक्ति विचार
  • विश्व तत्त्वप्रकाश
78. श्री अभयचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती इ.स. 1249-1279 वि.सं. 1306-1336
  • मंद प्रबोधिनी (गोम्मटसार टीका)
  • कर्म प्रकृति
79. श्री बालचंद्र सैद्धांतिक (2) इ.स. 13वीं शताब्दि वि.सं. 12वीं शताब्दि का
  • द्रव्यसंग्रह टीका
  • (गुरु : अभयचंद्र)
80. श्री श्रुत मुनि इ.स. 13वीं शताब्दि के अंत में वि.सं. 14वीं शताब्दि का उत्तरार्ध
  • परमागमसार
  • आस्रवत्रिभंगी
  • भावत्रिभंगी
  • (दीक्षागुरु : अभयचंद्र)
    (अणुव्रत गुरु : बालचंद्र सैद्धांतिक)
81. श्री भास्करनंदि इ.स. 13वीं शताब्दि के अंत में वि.सं. 14वीं शताब्दि के मध्य में
  • ध्यानस्तव
  • तत्त्वार्थवृत्ति
  • सुखबोध टीका