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Kavi Harichandra

कवि हरिचंद्र या जय मित्रहल

कवि हरिचंद्र के गुरु पद्मनंदी भट्टारक थे। यह मूल संघ बलात्कार गण और सरस्वती गच्छ के विद्वान थे। भट्टारक प्रभाचंद्र के पट्टधर थे। कवि का समय लगभग 15वीं शती माना गया है। इनके दो ग्रंथ उपलब्ध हैं।
1. वड्ढ़माण चरिउ- इस ग्रंथ में 11 संधियां हैं। इस ग्रंथ में अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जीवन चरित अंकित है।
2. मल्लिणाह चरिउ - इसमें 19 में तीर्थंकर भगवान मल्लिनाथ का जीवन चरित्र अंकित है। इसकी प्रति आमेर शास्त्र भंडार में सुरक्षित है।

Shastra by Kavi Harichandra

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Shastra Name Rachayita Tikakar/Translator PDF Details