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Aacharyakalp Pandit Todarmalji

Aacharyakalp Pandit Todarmalji

आचार्यकल्प पंडित टोडरमल जी

महाकवि आशाधर जी ने पंडित टोडरमल जी को आचार्यकल्प  कहकर संबोधित किया है। पंडित टोडरमल जी अद्भुत मेघा और स्मरण शक्ति के धनी थे। इनके पिता का नाम जोगीदास और माता का नाम रमा था। इनका जन्म जयपुर में खंडेलवाल जाति में और गोदीका गोत्र में हुआ था। यह बचपन से ही अत्यंत प्रतिभाशाली थे। टोडरमल जी महान विद्वान थे। वे स्वभाव से विनम्र थे और जिन शासन के प्रति समर्पित थे। इन्होंने जैन दर्शन के सिद्धांत ग्रंथों का अध्ययन करने के लिए कन्नड लिपि का भी अभ्यास किया था। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर इनका जन्म विक्रम संवत 1797 और मृत्यु 1824 सिद्ध होती है। टोडरमल जी अपने माता-पिता की एकमात्र संतान होने से बहुत लाड प्यार से पले। टोडरमल जी की अद्भुत बुद्धि देखकर इनके माता-पिता ने शिक्षा की उत्तम व्यवस्था की और वाराणसी से एक विद्वान को व्याकरण, दर्शन आदि विषयों को पढ़ाने के लिए बुलाया था। पंडित टोडरमल जी ने मात्र 6 माह में ही जैनेंद्र व्याकरण का अध्ययन पूर्ण कर लिया था। मात्र 18-19 वर्ष की अवस्था में ही गोम्मटसार, लब्धिसार, क्षपणासार और त्रिलोक सार की टीका कर जगत को आश्चर्यचकित कर दिया। आजीविका के दिए यह कुछ समय जयपुर के पास सिंघाड़ा गांव में रहे। वहां से लौटने के बाद इनका विवाह संपन्न हो गया। इनके दो पुत्र हुए। बड़े पुत्र का नाम हरिश्चंद्र और छोटे पुत्र का नाम गुमानी राम था। पंडित टोडरमल जी के व्यक्तित्व का प्रभाव सारे समाज पर व्याप्त हो चुका था। इन्होंने समाज सुधार एवं शिथिलाचार के विरुद्ध एक अभियान शुरू किया और शास्त्र प्रवचन एवं ग्रंथ निर्माण के माध्यम से समाज में नई चेतना उत्पन्न की। जयपुर के तेरहपंथी बड़े मंदिर में इनका प्रतिदिन व्याख्यान होता था, जिसमें दीवानचंद, अजबराय, त्रिलोकचंद महाराज जैसे विशिष्ट व्यक्तित्व सम्मिलित होते थे। पंडित टोडरमलजी ने मोक्ष मार्ग प्रकाशक नाम की एक अद्भुत मौलिक रचना लिखी, जिसके कारण जैन धर्म के विद्वेषी व्यक्तियों की शिकायत के कारण उन्हें मृत्यु का सामना करना पड़ा। पंडित टोडरमलजी ने अपने जीवन काल में कुल 11 रचनाएं लिखीं, जिनमें सात टीका ग्रंथ और 4 मौलिक ग्रंथ हैं।


1. मोक्ष मार्ग प्रकाशक
2. आध्यात्मिक पत्र
3. अर्थ संदृष्टि
4. गोम्मटसार पूजा
5. गोमटसार जीवकांड सम्यक ज्ञान चंद्रिका
6. गोम्मटसार कर्मकांड टीका
7. लब्धिसार टीका
8. क्षपणासार टीका
9. त्रिलोक सार टीका
10. आत्मानुशासन वचनिका
11.  पुरुषार्थ सिद्धि उपाय टीका